भारत के 21 राज्यों से 60 से अधिक एनजीओ ने अंग दान पर राष्ट्रीय अभियान ‘स्वस्थ सबल भारत’ की शुरुआत के लिए हाथ मिलाया
देश भर के 60+ एनजीओ और संगठनों ने मिलकर देश में अंग दान के लिए एक राष्ट्रीय अभियान शुरू करने का संकल्प लिया। लोगों में अंगदान के बारे में उपेक्षा को दूर करना इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है ताकि ज़रूरतमंद लोगों को समय पर अंग उपलब्ध कराकर उनका जीवन बचाया जा सके और वे फिर से सामान्य जीवन जी सकें।
‘स्वस्थ सबल भारत’ सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ने किया। इस अवसर पर उन्होंने अंग दान के बारे में जागरूकता की कमी पर विचार प्रस्तुत किए और आश्वासन दिया कि जल्द ही वे इस विषय पर पीएमओ के साथ बातचीत करेंगे, ताकि इस गंभीर मुद्दे को प्राथमिकता सूची में शामिल किया जाए। मीडिया को सम्बोधित करते हुए उन्होंने दधीचि के प्रयासों की सराहना की और संगठन की 25वीं सालगिरह के मौके पर सदस्यों को बधाई दी। इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘‘17 हज़ार से अधिक दानदाताओं, 353 देह दान, 870 आंखों के जोड़ों के दान, 6 अंग दान, दो अस्थि दान और तीन त्वचा दान के साथ दधीचि पहले से इस क्षेत्र में उदाहरण स्थापित कर चुका है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय अभियान की शुरूआत समय की मांग है जिसे सभी हितधारकों को सहयोग प्रदान करना चाहिए।”
श्री मनसुख मंडाविया, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री, श्री गंगा प्रसाद चौरसिया, राज्यपाल, सिक्किम, श्रीमती मीनाक्षी लेखी, विदेश राज्य मंत्री, डॉ हर्ष वर्धन, संसद सदस्य, श्री सुशील मोदी, संसद सदस्य तथा अन्य दिग्गजों की मौजूदगी में दधीचि ने अंग-दान पर ‘स्वस्थ सबल भारत’अभियान का औपचारिक ऐलान किया। नई दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में आयोजित एक प्रेस सम्मेलन के दौरान आलोक कुमार, सीनियर एडवोकेट एवं संरक्षक ने दधीचि के इस अभियान की सराहना की।
इस अवसर पर मौजूद अन्य गणमान्य दिग्गजों में पूज्य साधवी भगवती सरस्वती, परमार्थ निकेतन (ऋषिकेश), श्रीमती भारती प्रवीण पंवर, राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, हर्ष मल्होत्रा, अध्यक्ष, दधीचि, राजेश भूषण, सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, राजेश कोटेचा, सचिव, आयूष मंत्रालय, अमित सिंगला, सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, दिल्ली सरकार, प्रोफेसर डॉ प्रांजल मोदी, वाइस चांसलर, गुजरात युनिवर्सिटी ऑफ ट्रांसप्लांटेशन साइन्सेज़, प्रोफेसर अतुल गोयल, महानिदेशक, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, मनोहर अगनानी, अपर सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, डॉ रजनीश सहाय, निदेशक, राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठनों के साथ 22 राज्यों के 60+ एनजीओ, 20+ प्रोफेशनल संस्थान और अन्य महत्वपूर्ण हितधारक उपस्थित रहे जिन्होंने देह-अंग दान के विषय पर विचार-विमर्श किया।
दधीचि देह दान समिति के अध्यक्ष हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि ‘हमारे देश में प्रार्थना के समय अक्सर कहा जाता है, ‘सर्वे भवंतु सुखिना, सर्वे संतु निरामाया’ इसका अर्थ है सभी खुश रहें और सभी निरोगी रहें। आज देश के सभी हिस्सों से अंग दान के लिए काम करने वाले और अंगदान के बारे में जागरुकता बढ़ाने वाले संगठन यहां मौजूद हैं। यह स्वस्थ एवं सशक्त भारत के निर्माण की दिशा में हमारा एक प्रयास है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी इस बात का आश्वासन देती है कि इस अभियान को अंग दान के लिए काम करने वाले सभी संगठनों एवं अन्य सभी संस्थानों का पूरा समर्थन प्राप्त होगा।
दिनभर चले ‘स्वस्थ सबल भारत’ सम्मेलन में स्वास्थ्य जगत के महत्वपूर्ण हितधारकों, एनजीओ एवं अन्य संगठनों ने भी हिस्सा लिया। इनमें मोहन फाउन्डेशन, ऑर्गन इंडिया, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, नोट्टो, ओआरबीओ, नेशनल नेत्र बैंक, अम्मा नेत्र ऑर्गन-बॉडी डोनेशन प्रोमोटर्स ऑर्गेनाइज़ेशन, फेडरेशन ऑफ ऑर्गन एण्ड बॉडी डोनेशन और नेत्र बैंक एसोसिएशन ऑफ इंडिया शामिल थे। इस सत्र के दौरान, राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) ने भारत में अंग दान पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। उनकी रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में ब्रेन-डेड डोनर्स में तेजी से गिरावट आई है। 2019 में ब्रेन-डेड डोनर की संख्या 715 थी जो 2020 में घटकर केवल 315 रह गई। हालांकि 2021 में 552 पंजीकरण के साथ यह आंकड़ा बेहतर हुआ, फिर भी यह 2019 में बनाए गए रिकॉर्ड से बहुत कम था।
NOTTO द्वारा उजागर की गई सबसे बड़ी चिंता अंग दान दर (ODR) में बहुत धीमी गति से सुधार पर है। 2013 में यह 0.27 थी और आठ साल की अवधि में इसमें मामूली ही वृद्धि हुई, यानी 2021 में ओडीआर 0.4 था। दधीचि द्वारा ‘स्वस्थ सबल भारत’ की शुरुआत करने का मूल कारण, ओडीआर में वृद्धि करना है।
देश के 21 राज्यों से तकरीबन 60 एनजीओ के साथ आयोजित विचार-मंथन सत्र के आधार पर एडवोकेट आलोक कुमार ने श्री मनसुख मंडाविया को कई सुझाव दिए। इस सूची के बारे में बात करते हुए एडवोकेट कुमार ने कहा, ‘‘सार्वजनिक-निजी भागीदारी के बिना अंग दान अभियान सफल नहीं हो सकता, इसमें सरकार को भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। इसलिए देश भर से 50 से अधिक एनजीओ के साथ विचार-मंथन सत्रों की एक श्रृंखला के बाद हम सरकार के लिए सुझावों की अंतिम सूची पर पहुंचे हैं। हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इस दिशा में सकारात्मक काम करेगी।’
1997 में गठित दधीचि देह दान समिति ने अंग दान के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए मशाल वाहक की भूमिका निभाई है। लोगों को अंगदान के बारे में जागरुक बनाना इसका मुख्य उद्देश्य है, संस्था लोगों को बताती है कि किस तरह मृतक/जीवित दानदाता द्वारा दान किए गए अंग एक ज़रूरतमंद व्यक्ति को नया जीवन दे सकते हैं। दधीचि से 300 से अधिक स्वयंसेवकों ने अंगदान करने वाले परिवारों के लिए इस प्रक्रिया को सुगम बनाने की दिशा में हर ज़रूरी कदम उठाया है।
दधीचि देह दान समिति के अध्यक्ष हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि सबसे बड़ी आबादी में से एक होने के बावजूद अंगदान के मामले में भारत अन्य विकासशील देशों से बहुत पीछे है। इसके पीछे प्रमुख कारण जन जागरूकता की कमी हो सकती है। जैसा कि सीवोटर सर्वेक्षण से पता चला है, यह पूर्वाग्रह या अंधविश्वास नहीं है जो नागरिकों को अंग दान को एक विकल्प के रूप में मानने से रोकता है। यह इस मुद्दे पर विश्वसनीय जानकारी और अज्ञानता की कमी है। सर्वेक्षण में 85% से अधिक उत्तरदाताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे गुर्दे, लीवर, हृदय, फेफड़े और आंखों जैसे अंगों को दान करने के बारे में नहीं जानते थे। उन्होंने कहा कि इस समय सरकार, सामाजिक समूहों और संबंधित नागरिकों को एक साथ आने और अंग दान के प्रति देशभर में जागरूकता फैलाने की तत्काल आवश्यकता है। जिससे कई लोगों के अनमोल जीवन को बचाया जा सकता है।
दधीचि देह दान समिति की स्थापना 1997 में पहले ‘देहदानियों का उत्सव’ में हुई थी, जहां भारत रत्न श्री नानाजी देशमुख ने मृत्यु के बाद देहदान के लिए पहली प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर किए थे। समिति देह-अंग दान पर जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है। यह लोगों को मृत्यु के बाद देह-अंग दान के लिए प्रतिज्ञा करने के लिए प्रेरित करती है। दाता की मृत्यु पर परिवार को केवल समिति को एक टेलीफोन कॉल करना होता है और समिति समन्वय करती है और दान को निष्पादित करती है। सभी दान केवल सरकारी संस्थानों को दिए जाते हैं। समिति को 2019 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सर्वश्रेष्ठ एनजीओ के रूप में चुना गया था। यह दिल्ली-एनसीआर में और बिना किसी वैतनिक कर्मचारी के लगभग 300 स्वयंसेवकों के स्वैच्छिक और मुफ्त योगदान के साथ संभव हुआ है।