चार दिसंबर को होंगे प्रदूषण से बेहाल दिल्ली में नगर निगम के चुनाव

मुकेश दीक्षित

चार दिसम्बर को होंगे दिल्ली नगर निगम के चुनाव। चुनाव आयोग के इस ऐलान के बाद दिल्ली में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गयीं हैं। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव के लिए चार दिसंबर को मतदान होगा, जबकि मतों की गिनती सात दिसंबर को होगी। दिल्ली के राज्य निर्वाचन आयुक्त विजय देव ने शुक्रवार को तारीखों की घोषणा की। उन्होंने कहा कि चुनाव के कारण राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार से ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है।
देव ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘दिल्ली में नगर निगम चुनाव के लिए मतदान चार दिसंबर को होगा, जबकि परिणाम सात दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। ’ उन्होंने कहा कि नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया सात नवंबर से शुरू हो जाएगी और 14 नवंबर तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे।

चुनावों के ऐलान के साथ ही दिल्ली का राजनीतिक पारा चढ़ गया है।  पार्टियां तैयार है, उम्मीदवार तैयार है और उनसे भी कही ज्यादा तैयार है दिल्ली का वोटर…. दिल्ली का लगभग हर नागरिक इस समय खांसी, नजला, जोड़ो के दर्द और बुखार से परेशान नज़र आ रहा है जिसका एक मात्र कारण है दिल्ली का प्रदूषण।।

पिछले साल तक केजरीवाल प्रदूषण का पूरा दोष पंजाब और पराली को देते नही थकते थे और दिल्ली के अनेको झूठो की तरह ये झूठा वादा भी किया था कि यदि पंजाब में केजरीवाल की सरकार बनेगी तो पराली की समस्या बिल्कुल खत्म हो जाएगी। जबकि पिछले वर्षों की तुलना में पराली की समस्या 150% तक बढ़ी है।

अच्छी शिक्षा देने में फेलियर,अच्छी स्वास्थ्य सेवा देने में फेलियर,अच्छी सड़के देने में फेलियर,शुद्ध पानी देने में फेलियर,जाम मुक्त दिल्ली बनाने में फेलियर, शराब मुक्त करने में फेलियर,भ्रष्टाचार मुक्त करने में फेलियर,शुद्ध यमुना देने में फेलियर और शुद्ध हवा देने में फेलियर है,केजरीवाल की सरकार।

एक तरफ नाकामियों की लम्बी लिस्ट है केजरीवाल सरकार की।  वहीं दूसरी ओर भाजपा भी १५ साल के निगम शासन के हिसाब किताब में फंसी है।  राह उसकी भी आसान नहीं है।  केजरीवाल उन्हें कूड़े के पहाड़ में दबा कर हराना चाहते है। लेकिन अगर उनके वादों-इरादों को कसोटी पर अगर कसें तो उनकी कथनीऔर करानी में फर्क साफ़ नज़र आता है। शायद यही एक कारण हो सकता है कि भाजपा एक बार फिर सत्ता में वापिस आने का ख़वाब देख रही है।

दिल्ली कांग्रेस की अगर बात करें तो फिलहाल वो कुर्सी की दौड़ में बहुत पीछे दिखाई देती है।

चुनावी बिगुल बज चुका है। सेनाएं तैयार हो रहीं हैं।  देखना दिलचस्प होगा किसकी होगी दिल्ली।

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