सम्मेद शिखर की पवित्रता सुनिश्चित करने की मांग को लेकर दिल्ली में जैन समाज का आंदोलन

झारखंड सरकार और केंद्र सरकार द्वारा जैन समाज के सर्वाधिक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किये जाने को लेकर जैन समाज आंदोलित है. इसे लेकर देश के विभिन्न शहरों में प्रदर्शन हो रहा है. जैन समाज की मांग है कि सम्मेद शिखरजी की पवित्रता को बनाये रखने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को अपना फैसला वापस लेना चाहिए. इसे लेकर दिल्ली के ऋषभ विहार जैन मंदिर में 26 दिसंबर से जैन समाज सम्मेद शिखर बचाओ आंदोलन कर रहा है. इसमें संजय जैन के साथ ही रुचि जैन आमरण अनशन पर भी बैठे हैं, जिसके साथ जैन समाज के सैकड़ों लोग खड़े हैं.

बिना अन्न-जल के अनशन के कारण रुचि जैन की सेहत खराब हो गयी है. विश्व जैन समाज के उपाध्यक्ष यश जैन का कहना है कि हमें सरकार की ओर से आश्वासन नहीं ठोस परिणाम चाहिए. केंद्र सरकार नोटिफिकेशन को वापस ले या उसमें संशोधन कर सम्मेद शिखर की पवित्रता को सुनिश्चित करे. उन्होंने कहा कि सम्मेद शिखर की पवित्रता और पर्यावरण संरक्षण के लिए पूरा जैन समाज प्रयासरत है. आदिवासी भी प्रकृति के पूजक होते हैं. ऐसे में आदिवासी और जैन समाज मिलकर सम्मेद शिखर की पवित्रता को बनाये रखना चाहते हैं.

अनशन पर बैठे संजय जैन ने कहा कि सरकार को सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल के बजाए पवित्र तीर्थ स्थल घोषित करना चाहिए. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा इसे इको सेंसिटिव जोन घोषित करने के फैसले से जैन समाज की धार्मिक पवित्रता को नुकसान होगा और वहां के स्थानीय आदिवासियों को भी बेरोजगार करेगा. पर्यावरण मंत्रालय के नोटिफिकेशन के बाद पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर कुछ व्यवसायी कंपनियों को आमंत्रित किया जा रहा है. पर्यटन के नाम पर सड़कों के चौड़ीकरण करने और गाड़ियों के चलने से स्थानीय हजारों आदिवासियों की आजीविका पर संकट खड़ा हो जायेगा.

सम्मेद शिखर बचाओ आंदोलन में शामिल जैन समाज के लोगों का कहना है कि कुछ राजनीतिक लोग अपने स्वार्थ के लिए स्थानीय लोगों को जैन समाज के विरुद्ध भड़काने का काम कर रहे हैं. लेकिन सभी को याद रखना चाहिए कि स्थानीय लोगों की भी आस्था पर्वतराज के प्रति है. आदिवासी समाज प्रकृति की पूजा करने के कारण जैन समाज के साथ मिलकर इस स्थल की पवित्रता बनाये रखने की कोशिश में भागीदार बनेंगे. जैन समाज की ओर से स्थानीय लोगों के विरोध में कुछ नहीं कहा गया है. लेकिन इसे राजनीतिक रंग देकर आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *