उत्कृष्ट रचना से रुचि का परिष्कार करते हैं फिल्मकार – अनिल कुमार

पंडित लखमीचंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ परफॉर्मिंग एवं विजुअल आर्ट, यानि सुपवा, रोहतक में चल रही दो दिवसीय फिल्म कार्यशाला रविवार शाम को सम्पन्न हो गई । कार्यशाला का दूसरा दिन प्रायोगिक अभ्यास पर केंद्रित रहा जिसमें प्रशिक्षुओं ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया । रविवार को पटकथा लेखक और निर्देशक आकाशादित्य लामा ने विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न विषयों पर लिखित कहानियों को सुना और उनको बेहतर करने के लिए या फिर से लिखने के लिए जरूरी बातें बताई । इसी प्रकार प्रख्यात अभिनेता योगेश सोमण ने प्रतिभागियों की अभिनय कला को देखा और उसको निखारने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए । कार्यशाला के आखिरी दिन प्रसिद्ध अभिनेता तथा सुपवा के कुलपति गजेंद्र चौहान ने भी एक सत्र में अभिनय के विभिन्न पक्षों के बारे में विस्तार से चर्चा की तथा फिल्म उद्योग के बारे में भी अहम जानकारियां साझा की । फिल्म एवं टीवी निर्देशन का लंबा अनुभव रखने वाले श्याम मलिक ने अनेक प्रासंगिक उदाहरण देते हुए निर्देशन के बारे में प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का समुचित समाधान किया ।

कार्यशाला के समापन सत्र में हरियाणा उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो बी के कुठियाला, सुपवा के कुलपति गजेंद्र चौहान, क्षेत्र प्रचार प्रमुख अनिल कुमार, विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष डॉ. मार्कण्डेय आहूजा, विश्व संवाद केंद्र के सचिव राजेश कुमार मंच पर उपस्थित रहे । समापन सत्र को संबोधित करते हुए क्षेत्र प्रचार प्रमुख अनिल कुमार ने कहा कि आम तौर पर दर्शक की रुचि का बहाना लेकर दोयम दर्जे का कंटेंट बनाया जाता है किंतु उत्कृष्ट रचनाकार समाज की रुचि का भी परिष्कार करने का माद्दा रखता है । अनिल कुमार ने कहा कि फिल्में समाज का आईना होती हैं किंतु इस आइने में आदर्शों का निर्माण करने का काम फिल्मकार अपने विचार के आधार पर करता है । वह एक रिश्वतखोर पुलिस वाले को, गैंगस्टर को या हत्यारे को हीरो बनाकर प्रस्तुत करता है किंतु सच में इस प्रकार के चरित्र आदर्श तो नहीं होने चाहिए । समाज में रचनात्मकता का उद्देश्य समाज हित, राष्ट्रहित होना चाहिए । समापन सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. ब्रज किशोर कुठियाला ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाओं से निकले फिल्मकार, लेखक, अभिनेता आने वाले दस साल में भारत में फिल्म उद्योग का एक नया परिदृश्य निर्मित करेंगे ।

दो दिन की कार्यशाला का ब्यौरा रखते हुए विश्व संवाद केंद्र, हरियाणा के सचिव राजेश कुमार ने बताया कि इसमें उत्तर क्षेत्र के हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली एवं हिमाचल प्रदेश राज्यों से चुने गए 40 प्रतिभागियों दो दिन में कुल नौ सत्रों में फिल्म लेखन, निर्देशन और अभिनय की बारीकियों को सीखा । इस कार्यशाला से चुने गए चुनिंदा दो प्रतिभागियों को मुंबई में पंद्रह दिवसीय कार्यशाला में हिस्सा लेने का अवसर मिलेगा ।

कार्यशाला के समापन सत्र में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए । विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष डॉ मार्कण्डेय आहूजा ने धन्यवाद ज्ञापन किया । इस अवसर पर विवि के डीन एकेडमिक्स प्रो. अजय कौशिक, प्रो. उज्जवल, प्रो. विनय, सामाजिक कार्यकर्ता विजय कुमार, डॉ. सुरेंद्रपाल, डॉ लक्ष्मीनारायण, विक्रांत कुमार, हरियाणा के कला जगत के प्रतिष्ठित नाम मासूम शर्मा, रंजीत चौहान, दीपक कपूर, जोगेन्द्र कुंडु, जोगेन्द्र दलाल, अमर कटारिया, आकाश चावरिया, गगन हरियाणवी, रवि यादव, हरिओम कौशिक, विकास कुमार, विनय तथा समाज के प्रबुद्ध जन एवं कलाक्षेत्र से जुड़े विख्यात जन विशेष रूप से उपस्थित रहे ।

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