“द कोकोनोट ट्री’ और “डाकघर’ नाटकों का अक्षरा थियेटर में सफल मंचन

22 व 23 नवंबर की शाम दिल्ली के नाट्य प्रेमियों के लिए एक विशेष अवसर लेकर आई थी जहां द कोकोनोट ट्री व डाकघर नाटकों का सफल मंचन हुआ और जज्बा थिएटर ग्रुप का वार्षिक उत्सव भी मनाया गया। दिल्ली के सुप्रसिद्ध अक्षरा थिएटर में जज़्बा थिएटर ग्रुप ने दो शानदार नाटकों का सफल मंचन किया, जो एक ओर कला के प्रति समूह की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं, वहीं दूसरी ओर समूह के 18 वर्षों के सफर का भी प्रतीक बने। यह दिन उनके असंख्य प्रयासों, प्रस्तुतियों, और उस जुनून का सम्मान था, जिसने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया है।

शाम 6 बजे “द कोकोनट ट्री”, जिसे राहुल सक्सेना द्वारा डिज़ाइन और तुषार अरोड़ा द्वारा निर्देशित किया गया, का मंचन किया गया। यह नाटक कर्नाटक की सच्ची घटनाओं से प्रेरित है और एक ऐसे परिवार की कहानी बताता है जो समाज के दबावों, विचारों और अत्यधिक सोचने की प्रवृत्ति से जूझता है। हास्य, डरावनी और सामाजिक जागरूकता के ताने-बाने से बुने इस नाटक ने दर्शकों का न केवल मनोरंजन किया, बल्कि आत्मचिंतन करने और अपने भीतर छिपे पूर्वाग्रहों को पहचानने पर भी मजबूर किया। इस नाटक का यह पहला शो था, और दर्शकों ने कलाकारों और उनके प्रदर्शन की भरपूर सराहना की।

शाम 7:30 बजे “डाकघर” जिसे हिम्मत सिंह नेगी द्वारा निर्देशित किया गया, का मंचन हुआ। यह नाटक रवींद्रनाथ टैगोर की काव्यात्मक रचना का एक सुंदर रूपांतरण है। नाटक की कहानी और पात्रों की गहराई दर्शकों को आशा, सहनशीलता और मानव आत्मा की असीम संभावनाओं का एहसास कराती है। नाटक को इसके अनूठे डिजाइन और मूल गीतों के लिए भी बहुत सराहा गया।

अक्षरा थिएटर की इंटिमेट स्पेस ने एक खूबसूरत माहौल बनाने में मदद की और दर्शकों के साथ एक गहरा और व्यक्तिगत जुड़ाव स्थापित किया। इस अद्वितीय स्थान ने नाटकों को जीवंत बना दिया और हर एक प्रस्तुति को दर्शकों के दिलों तक पहुँचाया।

जज़्बा थिएटर ग्रुप की इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों के साथ गहरा जुड़ाव स्थापित किया। कलाकारों के समर्पण और प्रस्तुतियों की सराहना दर्शकों की प्रतिक्रिया में स्पष्ट झलकी। दोनों ही नाटक हाउसफुल गए और दर्शकों की तालिया ने कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।

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