मिलते ही आंखें दिल हुआ दीवाना किसी का-शमशाद बेगम की पुण्य तिथि पर विशेष, सुधांशु टाक
मिलते ही आंखें दिल हुआ दीवाना किसी का :- साल था 1950। हिंदी सिनेमा के पर्दे पर फ़िल्म ‘बाबुल’ प्रदर्शित हुई। फिल्म का निर्देशन एस यू सनी ने किया था। फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में दिलीप कुमार, नर्गिस, मुनावर सुल्तान, उमा देवी, अमर, ए शाह, जानकीदास थे। फिल्म में संगीत नौशाद ने दिया और गीत शकील बदायुनी ने लिखे थे। इस फ़िल्म का एक गीत “मिलते ही आंखें दिल हुआ दीवाना किसी का ….” मुझे बहुत पसंद है । शमशाद बेगम और तलत महमूद की आवाजों से सजा यह गीत इतना खूबसूरत है कि सीधे दिल में उतर जाता है । आज इसकी चर्चा इसलिए भी क्योंकि गायिका शमशाद बेगम जी की आज 10 वी पुण्यतिथि है ।
शमशाद बेगम फिल्म संगीत इतिहास का एक ऐसा पन्ना हैं, जो बहुत पुराना हो चुका है। लता मंगेशकर और आशा भोसले जैसी गायिकाओं ने लोकप्रियता-सफलता का ऐसा इतिहास लिखा कि लगा था उनसे पहले की या उनकी समकालीन गायिकाओं को लोग भूल ही जाएँगे। लेकिन यह शमशाद बेगम और उन जैसी कुछ और गायिकाओं की असाधारण प्रतिभा के सुरों का जादू है जो उन्हें कभी भूलने नहीं देगा।
शमशाद बेगम ने अपनी ज़िंदगी में लगभग 2000 गीत गाये। उनके खाते में एक से एक खूबसूरत गीत है। उनके कुछ गीत तो सदाबहार हैं। जैसे ‘कभी आर कभी पार‘, ‘मेरी जान संडे के संडे‘, ‘ओ गाड़ी वाले गाड़ी धीरे हांक रे‘, ‘कजरा मोहब्बत वाला‘, ‘ले के पहला पहला प्यार‘ और ‘सैंया दिल में आना रे‘। ये गीत आज रेडियो पर भी खूब बजते हैं और इन गीतों के कारण रीमिक्स इंडस्ट्री भी खूब पनप गयी।
23 अप्रैल 2013 को जब मुंबई में उनका निधन हुआ तब वह 94 बरस की थीं। वह गीत गाना तो अपने निधन से बरसों पहले छोड़ चुकी थीं। इसलिए तब बहुत से लोग ये समझते थे कि शमशाद इस दुनिया में ही नहीं हैं। क्योंकि वह बरसों से अपनी ज़िंदगी गुमनामी में जी रही थीं। पवई, मुंबई के हीरानंदानी कॉम्प्लेक्स में वह अपनी बेटी उषा और दामाद कर्नल योगराज बत्रा के साथ रह रही थीं।
शमशाद बेगम जी की पुनीत आत्मा को शत शत नमन