संघ कार्यकर्ता के विशिष्ट गुणों का समुच्चय थे रामनिवास जैन : दत्तात्रेय होसबाले
लखनऊ। रामनिवास जैन जैसे व्यक्तित्व विरले ही होते हैं। उनमें अद्भुत कार्य क्षमता थी। बिना थके, बिना रुके, बिना हारे सेवा पथ पर चलते हुए रामनिवास जैन पथ हो गए। सेवा कार्य पर चलते हुए वह स्वयं पथ बन गए। उनको हम नहीं बचा पाए, पर उनकी हजारों सुखद स्मृतियां हम सबके बीच हैं। रामनिवास जैन से कम समय में ही हमारा परिचय बन गया था। इसका विशेष कारण रामनिवास जी का व्यक्तित्व ही था। एक श्रेष्ठ संघ के कार्यकर्ता के जो भी विशिष्ट गुण होते हैं, वह सब गुणों के समुच्चय थे। उक्त उद्गार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले जी ने व्यक्त किए। वह लखनऊ के गोमतीनगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित प्रख्यात समाजसेवी स्वर्गीय रामनिवास जैन जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित और राज्य सूचना आयुक्त सुभाष चंद्र सिंह द्वारा संपादित पुस्तक ‘अनथक पथिक’ के विमोचन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
सरकार्यवाह ने कहा- बिना थके, बिना रुके, बिना हारे सेवा पथ पर चलते-चलते पथ हो गए रामनिवास जैन
श्री होसबाले ने आगे कहा कि उत्कृष्ट कोटि के स्वयंसेवक के लिए ‘पांव में चक्कर, मुंह में शक्कर, दिल में आग, शीश पर फाग’ उक्ति कही जाती है, यह उक्ति रामनिवास जैन पर अक्षरशः सटीक बैठती है। व्यक्तित्व के जो चार आयाम होते हैं, वह सभी रामनिवास जैन जी में थे। सुख में दुःख में, चुनौती में आनंद में वह हमेशा समभाव रहते थे। आत्मीयता के साथ सहजता से सभी लोगों के साथ संवाद करना उनकी विशेषता थी। घर के बारे में उनका पूरा ध्यान था। अपने बच्चों को भी उन्होंने उत्तम संस्कार दिए। घर के बगीचे से लेकर वह समाज कार्य के लिए समय चुरा लेते थे। व्यावसायिक जीवन में भी उन्होंने सफल उद्यमी के रूप में अपना मानक स्थापित किया। सुख-दुःख आते रहते हैं, पर वह कभी विचलित नहीं होते थे। लखनऊ में माधव सेवाश्रम, दिल्ली में एम्स के सामने माधव सेवाश्रम हो या विद्यार्थियों के लिए आवास हों या कुष्ठ रोगियों के लिए कॉलोनी हो, यह सब रामनिवास जैन के परिश्रम का प्रतिफल है।
रामकृष्ण मिशन के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथनंद ने कहा कि त्याग और सेवा कार्यों के लिए हम जितना समर्पित होंगे, ईश्वर हमारे उतना निकट होंगे। इस दिशा में रामनिवास जैन जी का जीवन सार्थक है। स्वामी विवेकानंद कहते थे वही जीते हैं जो औरों के लिए जीते हैं। रामनिवास जैन जी भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, पर उनके विचार आज हम सबके बीच ज्योति बनकर जल रहे हैं। आज उनके विचार जो पुस्तक के रूप में प्रकाशित हो रहे हैं, वह रामनिवास जैन की स्मृति को हम सबके बीच जीवंत बनाए रखेगी। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि रामनिवास जैन जी के व्यक्तित्व के बारे में जितना कहूंगा वह कम होगा। रामनिवास जैन जी के परिवार के प्रति मैं शुभकामनाएं देता हूं।
विद्या भारती के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री यतीन्द्र जी ने कहा कि रामनिवास जैन के लिए अनथक योद्धा विशेषण सर्वाधिक अनुकूल है। शिक्षा, सेवा अथवा कोई अन्य सामाजिक कार्य हो यह सामर्थ्य उनमें हमेशा देखी जा सकती थी। वरिष्ठ प्रचारक दिनेश चंद्र जी ने कहा कि रामनिवास जी जैन से मेरा काफी निकटस्थ थे। अनेकों ऐसे काम हैं जो जैन जी के नाम से ही लखनऊ में पहचाने जाते हैं। वह काम सारा करते थे पर उनका चेहरा सामने नहीं आता था। राजनीतिक क्षेत्र के लिए भी कभी उनसे कही जाती थी तो वह हाथ जोड़ लेते थे। निजी स्वार्थ से परे जाकर वह संगठन के कार्य के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचारक अनिल जी ने कहा कि रामनिवास जी जैन से हमारी निकटता ऐसी थी कि उनसे फोन पर प्रतिदिन वार्ता होती थी। जब भी आवश्यकता पड़ती थी, रामनिवास जी हमेशा तत्पर दिखते थे। चौबीस घंटे सेवा कार्यों के लिए समर्पित रहने वाले रामनिवास जी के लिए कुछ भी असंभव नहीं रहता था। केजीएमयू के पूर्व कुलपति प्रो.एमएलबी भट्ट ने कहा कि स्वनाम धन्य रामनिवास जैन के हनुमान की तरह राम-काज के लिए हमेशा तैयार रहते थे। वह ख्यातिलब्ध समाजसेवी थे, जिनके बारे में सारे विशेषण कम लगते हैं।
क्षेत्र कार्यवाह रामकुमार जी ने कहा कि रामनिवास जैन जैसा निर्लिप्त भाव वाला व्यक्तित्व मैंने नहीं देखा। उनके अंदर मैंने असाधारण व्यक्तित्व महसूस किया। संघ कार्य के लिए संसाधन जुटाने से लेकर काम को पूर्णता तक पहुंचाने के लिए वह हमेशा तत्पर रहते थे। पुस्तक को पढ़ें और उनके जैसा बनने का प्रयास करें। कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथियों का आभार ज्ञापन रामनिवास जैन के सुपुत्र शरद जैन ने किया।