दिल्ली नगर निगम चुनाव 22-भाजपा और आप में कांटे की टक्कर


चुनाव में केवल 9 दिन शेष रह गए है। प्रत्याशी चाहे किसी भी दल के हो सभी पोलिंग बूथ पर सम्पर्क साध चुके है। लेकिन सभी प्रत्याशी मतदाताओं से कोसों दूर नज़र आ रहे है।
दिल्ली में सीधा सीधा मुकाबला भाजपा और आप मे दिख रहा है। भाजपा का बूथ ही नही बल्कि पन्ना प्रमुख तक का कार्य और आम आदमी पार्टी का 8 साल का काम
दोनों में कांटे की टक्कर ने चुनाव को रोमांचक बना दिया है। वही कांग्रेस और कुछ निर्दलीय और छोटे दल के प्रत्याशी भी मजबूती से अपना अपना जीत का दावा ठोक रहे है।
यमुनापार से भाजपा को विधानसभा में सबसे अच्छा परिणाम मिला था, यहाँ 16 सीट में से भाजपा को 6 सीट पर जीत मिली थी।। यमुनापार की दोनों संसदीय सीट पूर्वी दिल्ली और उत्तर पूर्वी दिल्ली में भाजपा सबसे मजबूत स्तिथि में नज़र आ रही है।।
2020 का दंगा उत्तर पूर्वी दिल्ली में सबसे बड़ा मुद्दा जनता के लिए अहम है। मनोज तिवारी सांसद के क्षेत्र में भाजपा 41 सीट में से लगभग 30 सीट जीत कर रिकॉर्ड बनाने की राह पर दिख रही है। सट्टा बाजार भी नार्थ ईस्ट दिल्ली में भाजपा का रिकॉर्ड सबसे अच्छा बता रहा है।
सीमापुरी विधानसभा की 3 सीट, गोकुलपुरी विधान सभा की 2 सीट, रोहताश नगर विधानसभा की 3 सीट,
बाबरपुर विधानसभा की 2 सीट,मुस्तफाबाद विधानसभा की 2 सीट,घोंडा विधानसभा की 3 सीट, सीलमपुर विधानसभा की 2 सीट, करावल नगर विधानसभा की 3 सीट  भाजपा की जीत सीधे सीधे नज़र आ रही है।

आम आदमी पार्टी सतेंद्र जैन के घोटालों में फंसती दिख रही है। ईमानदार राजनीति और राजनीति में बदलाव के नारे के साथ आई केजरीवाल की पार्टी भरस्टाचार पर असहाय दिख रही है। भाजपा द्वारा निगम चुनाव को 6 महीने आगे करना और निगम का एकीकरण भाजपा के लिए तुरुप का पत्ता सिद्ध हो रहा है।कांग्रेस कही कही जोर मारती नज़र आ रही है लेकिन कांग्रेस का कैडर बिखर चुका है और विश्वास की कमी साफ साफ नजर आ रही है।

26 नवंबर से 02 दिसंबर तक सभी पार्टी अपना सब कुछ चुनावो में झोंक देंगे। जहाँ एक और आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मुस्लिमो को अपना सबसे बड़ा कैडर मान रहे है वही भाजपा बहुसंख्यक हिंदुओ और सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास के भरोसे चुनाव मैदान में डटी हुई है। मुस्लिम मतदाता चुनाव से एक दो दिन पहले फैसला लेगा की किसको वोट किया जाए। क्योंकि मुस्लिमो में एकता है। मुस्लिमो के मन मे भाजपा और नरेंद्र मोदी के लिए जहर घुला हुआ है, ये जाफराबाद, जनता कॉलोनी, कबीर नगर कर्दमपुरी और मुस्तफाबाद में साफ साफ नजर आ रहा है। ये आम आदमी पार्टी और कांग्रेस भली भांति जानते है। लेकिन हिन्दू मतदाता भी इस बार जाति और समुदाय में बटते नज़र नही आ रहे।। क्योंकि उन्होंने 2020 के दंगों का दंश झेला है। अंकित शर्मा की बेदर्दी से की गई हत्या, और श्रद्धा शर्मा के 35 टुकड़े बहुसंख्यक हिन्दू समाज के लिए अहम है । देखते है चुनावी ऊंट किस करवट बैठता है।।

मुकेश दीक्षित

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