कमलेश के.मिश्र रंगे को रंगे तो क्या रंगे तुम रंग दो कुछ बेरंग वसन को प्रेम, रंग और उल्लास की नगरी है वृंदावन। पर इसी वृंदावन में एक उदास सी छाँह में बड़ी नीरस सी ज़िंदगी जीने को अभिसप्त हैं हज़ारों हज़ार विधवा माताएँ. विधवा सफ़ेद वसन पहने, रंग से दूर