
उत्कल रेल हादसे के पीछे रेलवे की बड़ी लापरवाही सामने आई है. बताया जा रहा है कि जिस समय हादसा हुआ उस समय पटरी पर मरम्मत का काम चल रहा था. ड्राइवर को इस बात की जानकारी पहले से नहीं दी गई थी. मरम्मत के वक्त ट्रेन रोकने वाली लाल झंड़ी या किसी तरह की कोई चेतावनी भी जारी नहीं की गई थी.
इस हादसे में ट्रेन के 2 डिब्बे पटरी से उतर कर रिहाइशी इलाके में जा घुसे जिससे एक स्कूल और घर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं. स्थानीय निवासियों के अनुसार रेल ट्रैक पर 2 दिनों से काम चल रहा था.
बताया जा रहा है कि उत्कल एक्सप्रेस की गति तेज थी जब ये हादसा हुआ. रेलवे ड्राइवर को सिगनल या उचित चेतावनी के जरिए काम के बारे में पहले से कोई चेतावनी जारी नहीं की गई थी इसलिए ट्रेन की स्पीड कम नहीं की गई थी.
जहां पर हादसा हुआ वहां पर हथौड़े, रिंच और अन्य औजार मिले हैं. पटरियां कटी हुई हैं. जिससे साफ होता है कि ट्रैक पर मरम्मत का कार्य चल रहा है.
14 डिब्बे पटरी से उतरे
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के खतौली में शनिवार शाम पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन के 14 डिब्बे पटरी से उतर जाने से बड़ा हादसा हो गया. इस हादसे में कम से कम 23 यात्रियों की मौत हो गई और 60 लोग जख्मी बताए जा रहे हैं.
मुजफ्फरनगर के अधिकारियों ने प्रभावित परिवारों की मदद के लिए एक कंट्रोल रूम बनाया है. इस कंट्रोल रूम के फोन नंबर हैं – 0131-2436918, 0131-2436103 और 0131-2436564. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया और कहा कि रेल मंत्रालय एवं राज्य सरकार प्रभावित लोगों को हरसंभव मदद मुहैया कराने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है.
पिछले तीन सालों में सुरेश प्रभु के रेलमंत्री रहते हुए तीन सालों में कम से कम 6 रेल हादसे हुए हैं. इनमें सैकड़ों लोगों की जान गई है. हजारों लोग घायल हुए हैं. लेकिन रेलवे ने कोई सबक नहीं लिया.