
छात्र संघ के चुनाव की मांग को लेकर राजनीति करने में व्यस्त हरियाणा के विपक्षी दल बच्चों के कंधों पर रखकर बंदूक चला रहे हैं। ये चुनाव राज्य में 22 साल से बंद हैं, कोई अचानक बंद नहीं किए गए हैं। वैसे भी ये नौजवान छात्रों के स्तर के संगठन की बात है, इसमें तो राजनीतिक दलों को दखल वैसे भी नहीं देना चाहिए।
हरियाणा में छात्र संघ चुनाव चौधरी देवीलाल ने शुरू किए थे और ये काफी समय तक चले। लेकिन इन चुनावों में हिंसा होने और यहां तक कि कॉलेज परिसर में हत्याएं तक होने की वजह से चौधरी बंसीलाल ने 1996 में इन पर रोक लगा दी थी। उसके बाद इनेलो को 6 साल और कांग्रेस को 10 साल तक राज्य में सरकार चलाने का अवसर मिला लेकिन दोनों ने ही छात्र संघ चुनाव को शुरू नहीं करवाया। अब उनके जूनियर सड़कों पर शोर मचा रहे हैं कि चुनाव करवाओ, चुनाव करवाओ।
दरअसल इन भाइयों को भाजपा पर विश्वास है कि हमने इसे घोषणापत्र में शामिल किया है तो हम इसे लागू करेंगे। लेकिन उन्हें अपनी पार्टी पर भरोसा नहीं है। मेरा सुझाव यह है कि इनसो के साथियों और दिग्विजय चौटाला को ओमप्रकाश चौटाला जी से सवाल करना चाहिए कि उन्होंने छात्र संघ चुनाव लागू क्यों नहीं किए। या तो ओमप्रकाश चौटाला जी चौधरी देवीलाल जी के शुरू किए गए चुनावों में यकीन नहीं रखते थे या फिर उनमें इच्छाशक्ति नहीं थी कि वे इन चुनावों के दौरान राज्य में कानून व्यवस्था को काबू में रख पाते। इनसो की स्थापना अगस्त 2002 में हो गई थी और तब इनेलो की सरकार थी। क्या तीन साल तक इनसो वालों को नहीं लगा कि उन्हें अपनी सरकार से छात्र संघ के चुनाव करवाने की मांग करनी चाहिए ? और अगर उन्होंने मांग की तो क्या वो मांग मानी नहीं गई ? INSO को बताना चाहिए की वो चुनाव कराने वाले चौधरी देवी लाल के साथ है या चुनाव नही कराने वाले चौधरी ओम् प्रकाश चौटाला के साथ ?
ऐसे ही सवाल एनएसयूआई वालों को भूपेंद्र सिंह हुड्डा जी से पूछने चाहिए। बल्कि उन्हें छात्र संघ के चुनावों की मांग करने से पहले हुड्डा जी की आलोचना करनी चाहिए कि उन्होंने 10 साल मुख्यमंत्री रहने के बावजूद ये चुनाव क्यों शुरू नहीं करवाए ।
भाजपा का स्पष्ट मानना है कि महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में राजनैतिक पार्टियों का हस्तक्षेप नही होना चाहिए। ग़ैर राजनैतिक छात्र संगठनो को ही राजनीति करनी चाहिए। इस नैतिकता को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने आज तक अपनी कोई छात्र इकाई नही बनायी। केवल अपवाद स्वरूप दिल्ली की भाजपा ने जनता विद्यार्थी मोर्चा के नाम से 80 के दशक में कुछ वर्ष अपना छात्र संगठन चलाया। पर छात्रों के हितों के लिए छात्र ही राजनीति करे राजनैतिक दल नही इसलिए भाजपा दिल्ली ने भी अपनी छात्र इकाई भंग कर दीं । छात्रों को भी ये ध्यान रखना होगा की उनके बीच राजनैतिक दल ना घुसे क्योंकि उनके लिए छात्र हित नही पार्टी हित महत्व रखते है जैसे INLD की सरकार में INSO, और कोंग्रेस की सरकार में NSUI ने छात्र हित सरकार के लिए बलि चढ़ा दिए । ये तो भाजपा है जिसने छात्र चुनाव को अपने घोषणा पत्र में स्थान दिया और सीएम मनोहर लाल जी ने चुनावों का ऐलान किया ।इस साल सितंबर में छात्र संघ चुनाव करवाए जाएंगे। इसके बावजूद भी अगर कोई नहीं मानता है तो प्रदेश के लोग और युवा यह मान रहे हैं कि उनका मकसद छात्रों की भलाई नहीं, कुछ और ही है।