
यूरोप, अमरीका सहित लगभग सभी पश्चिमी देशों के कुछ विशेष इलाको में यह मान्यता है कि पूर्णिमा (पूरे चांद) की रात बहुत ही अशुभ होती है। कहते हैं कि इस दिन मानव भेडिए (आदमी से भेड़िया बनने वाले मानव) और इंसानी खून पीने वाले वैंपायरों में सबसे ज्यादा ताकत आ जाती हैं और वो पागलों की तरह दूसरों को नुकसान पहुंचाना शुरु कर देते हैं।
मानव भेडिए और वैंपायरों की कहानी भले ही अंधविश्वास हो लेकिन इसमें बहुत कुछ सच्चाई भी है। वो है पूर्णिमा के चांद का असर।
जी हां! पूर्णिमा की रात चांद जब अपनी पूरी रोशनी के साथ होता है, तब धरती पर भी उसका असर होता है। ये असर न केवल धरती वरन यहां के जीव-जंतुओं और इंसानों पर भी होता है। धार्मिक किताबों के बाद अब वैज्ञानिकों ने भी इसे मानना शुरु कर दिया है। इस दिन हर आदमी में कुछ न कुछ ऐसे बदलाव जरूर आते हैं जो बाकी दिन नहीं होते, खास तौर पर अमावस्या को तो बिल्कुल नहीं।
आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ संकेतों के बारे में जो आप पूर्णिमा के दिन साफ महसूस करते हैं।
इस दिन व्यक्ति का स्वभाव बहुत गर्म हो जाता है। उस दिन हमारा मूड़ भी उखड़ा हुआ रहता है और दूसरे लोगों से बहुत ज्यादा झगड़े होते हैं।
इस दिन वायरस और बैक्टीरिया जनित रोग जैसे गैस्ट्रिक प्रॉब्लम्स, जुकाम, इन्फेक्शन तथा माइग्रेन, बीपी जैसी बीमारियां बढ़ जाती हैं। इस दिन पेट संबंधी बीमारियों काफी ज्यादा लोगों को परेशान करती हैं।
इस दिन चिड़चिड़ा हो जाता है मिजाज
पूर्णिमा के दिन ज्यादातर लोगों का मिजाज चिड़चिड़ा हो जाता है और वो उखड़ा-उखड़ा रहता है। उन्हें लगता है जैसे कि पूरी दुनिया ही उनके खिलाफ है और उन्हें अपनी सुरक्षा करनी चाहिए।