

दिल्ली विधानसभा के लिए चुनाव की तारीख का ऐलान होने के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो चुका है । सभी 70 सीटों के लिए 8 फरवरी को मतदान होगा और 11 फरवरी को नतीजा आएगा । 11 फरवरी को ये पूरी तरह से साफ हो जाएगा कि आखिर दिल्ली के सिंहासन पर किसका होगा कब्ज़ा । सियासी शह और मात के इस खेल में क्या “आप” पर शाह पड़ेंगे भारी या पंजे की एक बार फिर होगी वापसी । वैसे सर्वे यही बता रहे हैं कि मुकाबला “भगवा” और झाड़ू के बीच में है ,पंजा इन सब के बीच अपनी साख तलाश रहा है ।
दिल्ली विधानसभा चुनाव की अगर बात करें तो 70 सीटों के लिए 8 फरवरी मतदान की तारीख तय हुई है । दिल्ली में तकरीबन 1.46 करोड़ लोग अपने मत के अधिकार का प्रयोग करेंगे । दिल्ली में 2689 जगहों पर वोटिंग होगी जिसके के लिए 13757 पुलिस पोलिंग बूथ होगी। वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष इंतजाम किए गए। इस मतदान के लिए करीब 90000 कर्मचारियों की ड्यूटी लगेगी।
2014 के मुकाबले राजधानी की चुनावी फिजा इस बार पूरी तरह से बदली हुई है। दिल्ली विधानसभा चुनावों में इस बार दो मुद्दों पर सस्पेंस गहराया हुआ है। पहला कि आखिर इन चुनावों में बीजेपी का सीएम फेस कौन होगा। बीजेपी ने इस पर अभी पत्ते नहीं खोले हैं। और दूसरा, नागरिकता कानून यानी CAA का मुद्दा दिल्ली के चुनावों में क्या गुल खिलाएगा। केजरीवाल सीएए के खिलाफ सीधे तौर पर कुछ नहीं बोल रहे हैं, जबकि बीजेपी अब तक के अपने अभियान में इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को जमकर ललकार रही है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या CAA का मुद्दा वोटों का धुव्रीकरण कराने में कामयाब रहेगा।
गौरतलब है कि देश के गृहमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रविवार को दिल्ली में विशाल रैली थी । इस रैली में अमित शाह ने दावा किया कि पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राज्य में बीजेपी की सरकार बनेगी। समझा जा रहा है कि पार्टी बिना किसी चेहरे के साथ चुनाव में जा सकती है। इस बयान को सीएम चेहरे के लिए चल रही अटकलबाजियों को खत्म करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
इधर सत्तारूढ़ AAP बीजेपी को सीएम उम्मीदवार घोषित करने की लगातार चुनौती दे रही है। आप ने ये दावा किया है कि बीजेपी में कई लोग दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने चाहते हैं इसलिए पार्टी चुनाव के दौरान अंदरूनी मनमुटाव से बचने के लिए सीएम चेहरे की घोषणा करने से बच रही है। शाह का पीएम मोदी के नाम का जिक्र करने के बाद अब कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी विधानसभा चुनाव में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव के लिए उतर सकती है।
इधर दिल्ली चुनाव को लेकर जनता के बीच भी अहोपोह की स्थिति है कि आखिर वोट के अधिकार का जब वो प्रयोग कसरें तो किस आधार ओर करें । नागरिकता संशोधन ऐक्ट पर केजरीवाल सरकार फूंक-फूंककर कदम रख रही है। पार्टी को इस बात का डर है कि इससे ध्रुवीकरण हो सकता है, इसलिए AAP विकास के कामों का आगे बढ़ा रही है और हर सप्ताह अपनी रिपोर्ट कार्ड पेश कर रही थी। AAP संसद में और संसद के बाहर CAA के मुद्दे पर केंद्र पर हमले कर रही है लेकिन साथ ही वह काफी संभलकर भी चल रही है क्योंकि सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी हिंदू वोटरों को नाराज करने को जोखिम मोल नहीं ले सकती है। बीजेपी CAA और जेएनयू के मुद्दे पर बेहद आक्रामकता के साथ AAP और कांग्रेस पर हमला कर रही है। माना जा रहा है इस चुनाव में दिल्ली में हुई हिंसा और जेएनयू का बवाल असर डाल सकता है।
देश के गृह मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर लगातार हमलावर हैं । अमित शाह ने सोमवार को भी दिल्ली सीएम पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने गरीब और गांव को नुकसान पहुंचाया है। अमित शाह ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा की आप सरकार हर वादों के जवाब में झूठ और विज्ञापन का सहारा लेती है। केजरीवाल सरकार ने 5 साल कुछ नहीं किया हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और अब जब चुनाब का समय आया है तो 5 महीने में सारे विज्ञापन देकर विकास नाम पर जनता की आंख में धूल झोंकने का काम कर रही है ।