
बोल बिंदास-दिल्ली राजनैतिक शुचिता को बचाने का दावा करने वाली पार्टी भाजपा पर सबसे ज़्यादा आरोप निगम चुनावों के टिकट बेचने के लग रहे हैं. भाजपा ने अपने निवर्तमान पार्षदों को टिकट न देकर नए चेहरों पर दांव लगाने का निर्णय लिया है. ऐसा उसने विपक्षी दलों पर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार के आरोपों को देखते हुए किया था. लेकिन जिस तरह से टिकटों की बंदर बांट हुयी है उसे देखते हुए लगता हे कि अगर कार्यकर्ताओं के लगाये आरोप सही हैं और टिकट बेचे या फिर अपने चहेते लोगों को दिए गए हैं तो भाजपा के इस दावे में कोई दम नही रह जायेगा कि वो एक भ्रष्टाचार मुक्त नगर निगम दिल्ली की जनता को देगी. आखिर जो लोग पैसे खर्च करके टिकट लायें हैं वो कहीं से तो पैसा वसूलेंगे.
भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुयी है. अगर वो नगर निगम में भाजपा की वापसी कराने में सफल हो जाते हैं तो दिल्ली भाजपा की राजनीति में एक नए युग की शुरूआत होगी जो नेता आधारित होगा और कहीं वो हार जाते हैं तो उनके लिए दिल्ली भाजपा को चलाना आसान नही होगा. एक बात तो तय है कि चुनावों का नतीजा कुछ भी हो कार्यकर्ताओं की हार तय है..
दिल्ली में अपने आस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस भी टिकट बटवारे में पक्षपात के आरोपों से घिरी हुयी है. पार्टी के कई वरिष्ठ नेता पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं. कुछ लोग तो भाजपा में शामिल हो गए हैं. पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ए.के.वालिया ने पार्टी से इस्तीफा देने की पेशकश की है. पंजाब में विजय से उत्साहित कांग्रेस के लिए ये चुनाव महत्वपूर्ण है, पिछले विधानसभा चुनावों में उसका खाता भी नही खुल पाया था.
आम आदमी पार्टी भी गंभीर आरोपो से घिरी हुयी है. उसके वरिष्ठ नेता संजय सिंह पर पार्टी की ही एक महिला कार्यकर्ता ने टिकट बेचने के आरोप लगायें हैं और सार्वजनिक रूप से थप्पड़ भी मारा है. आप पर निंरतर इस तरह के आरोप कार्यकर्ताओं द्वारा लगाये जाते रहे हैं.
इन निगम चुनावों में पंजाब और गोवा की हार के बाद अरविंद केजरीवाल पर जीतने का भारी दबाव है. दिल्ली में उनकी सरकार का परफार्मेंस टेस्ट है ये निगम चुनाव. अपने ही कार्यकर्ताओं से लड़ रही आम आदमी पार्टी अगर ये चुनाव हारती है तो उसके आस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो जायेगा. पार्टी दिल्ली में 67 सीटों के साथ सरकार में है. सीधा सीधा ये चुनाव उसके कामों का आंकलन होगा.
देखना दिलचस्प होगा कि नगर निगम के चुनावों में जीत का ऊंट किस करवट बैठेगा. अपने कार्यकर्ताओं से लड़ रही तीनों प्रमुख पार्टिया किस तरह से अपने कार्यकर्ताओं का गुस्सा शांत कर पाती है और दिल्ली की जनता के सामने एक बेहतर विकल्प प्रस्तुत करती हैं. क्या मोदी का जादू चलेगा? कांग्रेस की वापसी होगी? अरविंद केजरीवाल एक बार फिर अपनी लोक लुभावनी घोषणाओं से दिल्ली की जनता का विश्वास जीतने में कामयाब होंगे. बड़ी दिलचस्प रहेगा ये MCD दंगल 2017.