
राजस्थान के पोकरण रेंज में गुरुवार सुबह दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का स्वदेशी सीकर के साथ सफल परीक्षण किया गया। यह पहली बार है जब किसी मिसाइल का परीक्षण एक भारतीय-निर्मित साधक के साथ किया गया है। कम ऊंचाई पर तेजी से उड़ान भरने और रेडार की आंख से बचने के लिए जानी जाने वाली ब्रह्मोस परीक्षण के दौरान पोकरण में डीआरडीओ के अधिकारियों के अलावा भारतीय सेना और ब्रह्मोस के अधिकारी भी मौजूद थे।
टेस्ट के दौरान सटीक हमला करने में माहिर इस हथियार ने पहले तय टार्गेट पर पिन पॉइंट निशाना लगाया। इससे पहले इस मिसाइल को पहली बार पिछले साल नवंबर में फायटर जेट सुखोई-30 एमकेआई से दागा गया था। भारत सरकार इस मिसाइल को सुखोई में लगाने के लिए काम शुरू कर चुकी है और अगले तीन सालों में कुल 40 सुखोई विमान ब्रह्मोस मिसाइल से लैस हो जाएंगे।
बता दें कि इससे पहले सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का आखिरी परीक्षण नवंबर 2017 में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू, सुखोई -30 एमकेआई के साथ किया गया था। माना जा रहा है कि सुखोई में ब्रह्मोस फिट होने से क्षेत्र में एयरफोर्स की ताकत काफी बढ़ जाएगी। गौरतलब है कि 12 फरवरी 1998 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल टेक्नॉलजिस्ट डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम और रूस के प्रथम डेप्युटी डिफेंस मिनिस्टर एन.वी. मिखाइलॉव ने एक इंटर-गवर्मेन्टल अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया था। इसके बाद ही ब्रह्मोस बनाने का रास्ता साफ हुआ। इसे भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओएम द्वारा संयुक्त रूप से बनाया गया था।