
बोल बिंदास-
उपचुनावों के नतीजों से बीजेपी गदगद है. 10 में से 5 सीटों पर बीजेपी को सफलता मिली है, जबकि कांग्रेस को 3, टीएमसी को 1 और 1 सीट पर जेएमएम को सफलता मिली है.
10 में से 8 सीटों पर पार्टियों ने कब्जा बरकरार रखा है. यानि जिस दल के पास ये सीट थी, उसी को इसबार भी सफलता मिली है. जबकि दिल्ली की राजौरी गार्डन और राजस्थान की धौलपुर सीट को बीजेपी ने विरोधियों से छीना है.
सबसे ज्यादा चौंकाने वाला परिणाम दिल्ली से आया, जहां राजौरी गार्डन सीट पर AAP हारी ही नहीं, उसकी जमानत जब्त हो गयी. 10 दिन बाद दिल्ली में MCD का चुनाव है और इस परिणाम से जहां बीजेपी मस्त है वहीं AAP पस्त दिख रही है.
दूसरा चौंकाने वाला परिणाम प. बंगाल से आया, जहां जीत तो टीएमसी को मिली, लेकिन पिछले चुनाव में महज 9 फीसदी वोट पाने वाली बीजेपी 30 फीसदी वोट के साथ दूसरे स्थान पर रही.
नतीजे एक नज़र में…
– कर्नाटक की नांजनगुड और गुंडलपेट विधानसभा सीट कांग्रेस ने जीती, ये दोनों सीटें पहले से उसी की थीं.
– असम की धेमाजी विधानसभा सीट बीजेपी ने जीती है, ये सीट उसी के पास पहले भी थी.
– हिमाचल की भोरंज सीट बीजेपी ने जीती, ये पहले भी बीजेपी के ही पास थी.
– मध्य प्रदेश की बांधवगढ़ सीट बीजेपी ने जीती, ये सीट बीजेपी के ही पास थी.
– मध्य प्रदेश की अटेर विधानसभा सीट कांग्रेस ने जीती है, पहले भी ये सीट उसी की थी.
– तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल की कांठी दक्षिण सीट जीती है, ये सीट उसने बरकरार रखी है. लेकिन पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहने वाली सीपीआई इसबार तीसरे स्थान पर खिसक गयी. जबकि कांग्रेस को महज 1% वोट से संतोष करना पड़ा.
– झारखंड की लिट्टीपाड़ा सीट झामुमो ने जीती है, ये सीट पहले भी उसी के पास थी.
– दिल्ली की राजौरी गार्डन सीट बीजेपी-अकाली ने आम आदमी पार्टी से छीनी है. इस सीट पर कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही, जबकि AAP की जमानत जब्त हो गयी.
– राजस्थान की धौलपुर सीट बीजेपी ने बीएसपी से छीनी. ये सीट वसुंधरा राजे और सचिन पायलट के लिए नाक का सवाल था.
उप चुनावों के नतीजों से उत्साहित भाजपा पूरे दम से दिल्ली नगर निगम फतह करने में लग गयी है. कांग्रेस के लिए भी दिल्ली विधानसभा चुनाव में बढ़ा वोट प्रतिशत संजीवनी प्रदान करने वाला है वही पंजाब, गोवा और अब दिल्ली में मिली करारी हार ने केजरीवाल के कामकाज पर सवाल उठने शुरू हो गये हैं. दिल्ली में उसके उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गयी. उसके लिए निगम चुनावों की डगर मुश्किल हो गयी है.